रूस और यूक्रेन विवाद Russia-Ukraine War UPSC Notes

Russia-Ukraine War या रूस और यूक्रेन विवाद प्रतियोगी परीक्षाओं की दृस्टि से अधिक महत्व रख सकता है। UPSC Exam, SSC Exam, Bank Exam, NDA Exam, राज्य सेवा आयोग, सिविल सेवा परीक्षा आदि की दृस्टि से बहोत जरुरी होगा। हमारी टीम का यह मानना है की यह इस वर्ष के एग्जाम में भले न आये लेकिन इंटरव्यू में इस से सवाल जरूर ही पूँछ जाएंगे। एक अभ्यर्थी होने की वजह से आपको इस विषय की जानकारी होना जरुरी है। आपके इस विषय में क्या विचार है वो आप हमे कमेंट के माध्यम से बता सकते है।

रूस और यूक्रेन विवाद

24 Feb 2022 गुरुवार को तड़के 4.52 पर रूस ने यूक्रेन के कीव और अन्य शहरों पर एकाएक 4 मिसाइल से आक्रमण किया।

रूस और यूक्रेन विवाद दुनिया में एक नया संकट पैदा कर दिया है। ये संघर्ष अगर समय रहते टाला न गया तो तीसरा विश्व युद्ध होने की पूरी सम्भावना है।

इस आर्टिकल में हम रूस और यूक्रेन विवाद क्या है, इसकी वजह, दोनो देशों की सैन्य शक्ति की तुलना, इस विवाद से भारत पर क्या असर होगा और NATO के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करेंगे।

रूस और यूक्रेन विवाद की वजह

रूस और यूक्रेन की संघर्ष की मुख्य वजह NATO की विस्तारवादी नीति और यूक्रेन-NATO की बढ़ती करीबी है।

रूस और यूक्रेन की संघर्ष की वजह जानने के लिए हमको इतिहास के पन्नो को पलट के देखना पड़ेगा।

रूस और यूक्रेन संघर्ष की वजह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बात दूसरे विश्व युद्ध की है, जब सोवियत संघ रूस विस्तारवाद में लगा था। उस समय पूरी दुनिया में बस दो महाशक्ति थी, वो थी संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ रूस।

तब अमेरिका ने रूस की विस्तारवादी नीति का दमन करने के लिए सन् 1949 में NATO की स्थापना की।

NATO के बारे में हम थोड़ी देर बाद चर्चा करेंगे।

उस समय रूस की विस्तारवादी नीति के खिलाफ बहुत देश थे लेकिन वे रूस की शक्ति के आगे विरोध नही कर पा रहे थे, वे सब देश बस विरोध करने की एक सशक्त आवाज ढूंढ रहे थे।

अमेरिका ने NATO की स्थापना करके उनको विरोध करने का रास्ता दिया।

NATO की स्थापना होते ही उससे 12 देश जुड़ गए।

25 दिसंबर, 1991 को सोवियत संघ रूस का अलगाव हो गया। सोवियत संघ रूस के टूटने से 15 अलग और नए देश बन गए।

सोवियत संघ रूस के अलगाव से दुनिया में संयुक्त राज्य अमेरिका बस एक महाशक्ति बना रहा।

धीरे धीरे सोवियत संघ रूस के अलग होने वाले देश NATO में शामिल होने लगे। चूंकि, ये सारे देश कभी रूस का भाग हुआ करते थे तो वे सब देश रूस के समीप ही थे और उनके NATO में शामिल होने से रूस में एक भय व्याप्त हो गया।

रूस और NATO में हमेशा ही वैमनस्यता रही है, इसीलिए रूस कभी नही चाहता की NATO उसके समीपस्थ इलाके में अपना अधिकार जमाए।

अमेरिका रूस को दबाने की लगातार कोशिश कर रहा इसीलिए वह NATO के माध्यम से रूस के आस पास के क्षेत्रों में अपना अधिकार जमा रहा है और रूस को चारो तरफ से घेरने की कोशिश कर रहा है इसीलिए रूस को भय व्याप्त है।

इसी कड़ी में 2008 में जार्जिया और यूक्रेन को NATO में सम्मिलित होने का आमंत्रण मिला था लेकिन ये दोनो देश परिस्थितिवश शामिल न हो पाए।

बीते कुछ सालों से यूक्रेन और NATO में करीबियां बढ़ी है, जिसकी वजह से यूक्रेन और रूस में खींचतान भी बहुत बढ़ी है।

रूस हमेशा से ही यूक्रेन के NATO में शामिल होने से आपत्ति जताई है। रूस ने पिछले साल के दिसंबर में कहा था कि, “हमारी पूर्वी सीमा में NATO का विस्तार हमको बिल्कुल पसंद नहीं है अतः NATO अपना विस्तार बंद कर दे नही तो परिणाम बुरे भी हो सकते हैं।”

यूक्रेन:-एक संक्षिप्त परिचय

यूक्रेन सोवियत संघ रूस का ही भाग था। रूसी क्रांति के बाद यूक्रेन एक स्वतंत्र देश बन के उभरा, लेकिन कुछ समय बाद फिर से रूस में शामिल हो गया।

अंत में, 1991 में यूक्रेन स्वतंत्र हो गया और अब यूक्रेन के दो भाग थे: पूर्वी भाग और पश्चिमी भाग।

पूर्वी भाग के लोग रूस की सीमा से सटा होने के कारण अपने आप को रूस का भाग मानते हैं। वहीं पश्चिमी भाग के लोग अपने आप को यूरोपीय मानते हैं।

हाल ही में, रूस ने यूक्रेन के जिन दो भागों को स्वतंत्र देश घोषित किया है वो पूर्वी भाग के ही हैं: डोनेत्सक और लुनहास्क।

बता दे कि, यूक्रेन के पूर्वी भाग में रूसी अलगाववादियों का राज चलता है।

यूक्रेन अपना पूर्वी भाग रूस की गिरफ्त से आजाद कराने के लिए और अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए ही NATO में शामिल होना चाहता है, जो रूस को गवारा नहीं।

रूस और यूक्रेन की सैन्य शक्ति की तुलना

रूस के मुकाबले यूक्रेन बहुत छोटा और कमजोर है, तभी रूस उस पर अधिकार जमाना चाहता है।

चलिए रूस और यूक्रेन की सैन्य शक्ति में नजर डालते हैं।

रक्षा बजट:- स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में रूस और यूक्रेन का रक्षा बजट क्रमशः 61.7 बिलियन डॉलर और 5.9 बिलियन डॉलर था।

रूस और यूक्रेन विवाद मिलिट्री बजट

सैनिक:- यूक्रेन के पास कुल 1,100,000 सैनिक हैं वहीं रूस के पास 2,900,000 सैनिक हैं।

विमान:- यूक्रेन के पास कुल 487 विमान है, जिसमे 69 लड़ाकू विमान हैं वही रूस के पास 4100 विमान है, जिसमे 772 लड़ाकू विमान हैं।

टैंक:- यूक्रेन के पास 2600 टैंक हैं वहीं रूस के पास 12500 टैंक हैं।

पनडुब्बी:- रूस के पास 70 स्नाइपर पनडुब्बी हैं जबकि यूक्रेन के पास कोई स्नाइपर पनडुब्बी नही है।

नौसैनिक जहाज:-  यूक्रेन के पास 38 नौसैनिक जहाज हैं वहीं रूस के पास एक विमानवाहक युद्धपोत के साथ 600 से अधिक नौसैनिक जहाज हैं।

अन्य अत्याधुनिक हथियार:- यूक्रेन के पास 3000 से कुछ अधिक टाव्ड गन और अन्य सेल्फ प्रोपाल्ड आर्टिलरी गन हैं वहीं रूस के पास लंबी दूरी की 14,000 टाव्ड गन और अन्य सेल्फ प्रोपाल्ड आर्टिलरी गन हैं।

*Note:- ये सभी आंकड़े ग्लोबल फायरपावर के रिपोर्ट के अनुसार हैं।

रूस और यूक्रेन विवाद का भारत पर असर

रूस यूक्रेन विवाद का भारत पर असर पड़ने वाला है। आइए रूस यूक्रेन विवाद का भारत पर पड़ने वाले प्रभाव पर नजर डालते हैं।

आर्थिक प्रभाव

भारत का व्यापार यूक्रेन और रूस दोनो देशों से है, ऐसे में रूस यूक्रेन विवाद भारत की अर्थव्यवस्था को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं।

रूस यूक्रेन विवाद की वजह से भारत में पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव पर एक नजर;-

  • कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे।
  • सब्जी,फल एवं दालों के भाव में वृद्धि हो सकती है।
  • महगाई बढ़ने से केंद्रीय बैंक की दरों में बढ़ोतरी होगी।
  • एक्सचेंज रेट में गिरावट होगी, जिससे भारत का कुल व्यापारिक खर्च भी बढ़ सकता है।
  • रूस से आयातित मेटल्स के दामों में बढ़ोतरी होगी।
  • मेटल्स के दामों में बढ़ोतरी से ऑटो सेक्टर के दामों में भी वृद्धि होगी।
  • भारत रूस को थर्मल कोल निर्यात करता है, रूस में प्रतिबंधों की वजह से भारत के थर्मल कोल के व्यापार को नुकसान होगा।
  • भारत रूस से रक्षा उत्पादों का आदान प्रदान करता है ऐसे में रूस में लगे प्रतिबंधों की वजह से भारत-रूस व्यापारिक रिश्तों को नुकसान हो सकता है।

सामाजिक प्रभाव

  • यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई भारत की अपेक्षा आधे से भी कम मूल्य में हो जाती है, ऐसे में हजारों की संख्या में भारतीय छात्र यूक्रेन में रहकर पढ़ाई करते हैं।
  • रूस के अचानक से आक्रमण की वजह से यूक्रेन में रह रहे हजारों भारतीय छात्रो की कुशलता में भी प्रश्न चिन्ह लग गया है।
  • इसके अलावा रूस में भी बहुत सारे भारतीय छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं। ऐसे में उनका भविष्य भी खतरे में हैं।
  • छात्रों के अलावा रूस और यूक्रेन में बहुत सारे बिजनेसमैन और अन्य कामगार भारतीय रहते हैं, उनकी भी कुशलता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।

राजनीतिक प्रभाव

  • रूस और यूक्रेन दोनो देश भारत के मित्र देश हैं, विशेषकर रूस तो कई दशकों से भारत का एक अभिन्न मित्र रहा है।
  • इस परिस्थिति में, अगर ये विवाद आगे बढ़ा तो ये कहना मुश्किल है कि भारत किसका साथ देगा।
  • भारत के सामने एक बहुत बड़ा मानसिक संकट होगा।
  • हालांकि, सन् 2014 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला करके क्रीमिया को एक अलग देश का दर्जा दिया था तब भारत ने रूस का समर्थन किया था।
  • भारत के इस कदम का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना भी हुई थी।

NATO: एक संक्षिप्त परिचय

NATO (North Atlantic Treaty Organization) की स्थापना संयुक्त राज्य अमेरिका ने 4 अप्रैल 1949 को की थी।

मुख्यालय:- ब्रुसेल्स (बेल्जियम)

महासचिव:- जेंस स्टोल्टनबर्ग

उद्देश्य

  • अगर कोई देश यूरोप पर आक्रमण करता है तो NATO उस आक्रमण को रोकेगा।
  • पश्चिमी यूरोप में सोवियत संघ के विस्तार को रोकना।
  • यूरोपीय देशों में सैन्य तथा आर्थिक विकास का प्रयास करना।
  • पश्चिमी यूरोप के देशों में एकता का सूत्रपात करना।
  • साम्यवादी प्रभाव को रोकना एवं खत्म करना।

सिद्धांत

NATO के समस्त देशों में एकता और सुरक्षा सुनिश्चित करना एवं आर्थिक और सैन्य विकास करना।

स्पष्ट रूप से अगर किसी भी NATO सदस्य देश में कोई भी बाहरी देश आक्रमण करता है तो अन्य सदस्य देश उस देश की सुरक्षा हेतु आक्रमणकारी देश के ऊपर एकजुट होकर हमला करेंगे।

निष्कर्ष

रूस और यूक्रेन विवाद एक बहुत ही ज्यादा जटिल और ऐतिहासिक मामला है।

बात की जाए तो रूस का यह युद्ध निर्णय सैद्धांतिक रूप से सही नही है क्योंकि हर स्वतंत्र देश को अपनी सुरक्षा हेतु किसी समुदाय विशेष में शामिल होने का अधिकार है।

अतः रूस को यूक्रेन को NATO में शामिल होने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है।

रूस की जिद है कि यूक्रेन NATO में शामिल न हो पाए। यही जिद एक युद्ध का रूप धारण कर रही है, अगर समय रहते ये संघर्ष न रोका गया तो दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के लिए तैयार रहे।

Current Affairs in Hindi, 21 Feb 2022

Current Affairs in Hindi, 22 Feb 2022

Ancient History Notes for UPSC in Hindi

2 thoughts on “रूस और यूक्रेन विवाद Russia-Ukraine War UPSC Notes”

Leave a Comment