पुरापाषाण काल पृथ्वी पर मानव का प्रथम साक्ष्य प्रस्तुत करता है। प्रथम मानव का जन्म, उसके क्रमागत विकास, उसके रहन-सहन, शिकार की शैली इत्यादि विषयों पर हम इस आर्टिकल में विस्तार से चर्चा करेंगे। यह काल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। UPSC, राज्य लोक सेवा आयोग की प्रीलिम्स परीक्षाओं और SSC, bank और अन्य सभी परीक्षाओं के लिए अत्यंत जरूरी है। इसीलिए इस आर्टिकल के अंत में हम कुछ महत्वपूर्ण कालक्रमो पर चर्चा करेंगे जो factual basis exams के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पृथ्वी पर मनुष्य के जन्म की चर्चा से पहले हम पृथ्वी के आरंभ की चर्चा करेंगे।
हमारी पृथ्वी 4600 मिलियन वर्ष पुरानी है। पृथ्वी के भूपटल के विकास के 4 चरण हैं। चौथा चरण 2 युगों में विभाजित किया गया है।
नवयुग 20 लाख – ई.पू. 12000 तक है और अभिनव युग ई. पू. 12000 से आज तक है।
पृथ्वी पर मनुष्य पूर्व हिमयुग और प्रारंभिक हिमयुग में दिखाई दिए।
प्राचीन मानव का विकास लगभग 30 मिलियन वर्ष पहले हुआ।
पहला महत्त्वपूर्ण प्राणी होमो हाबिलिस था। जो पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में 20-15 लाख वर्ष पहले पाए गए। इसने पत्थरो के टुकड़े किए और उसको औजार हेतु धारदार बनाया।
दूसरी महत्वपूर्ण घटना 18-16 लाख वर्ष पूर्व होमो इरेक्टस का पाया जाना था। होमो इरेक्टस ने सर्वप्रथम कुल्हाड़ी का उपयोग किया और आग बनाने और इस्तेमाल करने की पद्धति का पता लगाया। होमो इरेक्टस के अवशेष चीन, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में पाए गए।
आधुनिक मानव जिसको होमो सेपियंस सेपियंस कहते है करीब 115,000 वर्ष पहले पूर्वी दक्षिण अफ्रीका में पाषाण युग के आखिरी काल में पाए गए, जिसे अपर पुरापाषाण युग कहते है।
भारत में प्रारंभिक मानव के कुछ ही साक्ष्य मिले हैं। ये साक्ष्य भारत और पाकिस्तान तक फैली शिवालिक पहाड़ियों में पाए गए हैं।
ये साक्ष्य खोपड़ियों के रूप में पाए गए है। ये खोपड़िया पोतवर पठार और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बलुआ पत्थर पर पाई गई हैं।
NOTE:- अब तक भारतीय उपमहाद्वीप में होमो सेपियंस के अवशेष नही मिले है।
भारतीय उपमहाद्वीप में फहियाँन गुफा सबसे प्राचीनतम है और अपर पाषाण कालीन स्थल हैं।
इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थर के औजारों और जलवायु परिवर्तन की प्रकृति के अनुसार भारत में पुरापाषाण काल तीन चरणों में विभाजित किया गया है।
प्राचीन या लोवर पुरापाषाण काल (6 लाख – 1.5 लाख)
मध्य पुरापाषाण काल (1.5 लाख – 35 हजार)
अपर पुरापाषाण काल (35 हजार – 10 हजार)
यह लगभग 20 लाख पहले अफ्रीका में शुरू हुआ है लेकिन भारत मे ये 6 लाख वर्ष से अधिक प्राचीन नही है।
महत्वपूर्ण स्थल
प्राचीनतम लोवर पुरापाषाण स्थल – बोरी (महाराष्ट्र)
प्राचीन पुरापाषाण स्थल – सोन नदी की घाटी (पंजाब, पाकिस्तान), बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश), दिदवाना (रेगिस्तानी क्षेत्र)।
NOTE:- दिदवाना से लोवर पुरापाषाण, मध्य और अपर पुरापाषाण के भी औजार मिले हैं।
आंध्र प्रदेश में नागार्जुन कोंडा और भीमबेटका की गुफाएं लोवर पुरापाषाण की विशेषताएं दर्शाते हैं।
रहन सहन
लोवर पुरापाषाण युग में लोग मुख्यतः भोजन जमा करते थे।
वे छोटे छोटे शिकार करते थे और मछली व पक्षियों के शिकार में निर्भर रहते थे। वे हाथ से इस्तेमाल करने वाले औजारों जैसे कुल्हाड़ी, गढ़ासा और चाकू का इस्तेमाल करते थे।
वे पत्थर के औजारों का इस्तेमाल मुख्यतः काटने, खुदाई और चमड़ा निकलने के लिए करते थे।
मुख्यतः पत्थर की पपड़ियों या छोटे छोटे टुकड़ों का इस्तेमाल करते थे। मुख्य औजार पत्ती, बरमा और बरछी था।
NOTE:- मध्य पाषाण कालीन स्थल के भौगोलिक क्षेत्र सामान्यतः लोवर पुरा पाषाण के साथ ही हैं।
महत्वपूर्ण स्थल
नर्मदा और तुंगभद्रा नदियों के दक्षिण में मध्य पुरापाषाण कालीन कलाकृतियां पाई गई है।
बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश) में पत्थर के औजार और हिरण आदि जानवरों के पशु जीवाश्म मिले हैं। (यह लोवर और मध्य पाषाण युग दोनो से संबंधित है)।
अपर पुरापाषाण युग हिमयुग के मध्य चरण के अंत में प्रारंभ हुआ। इस समय घास वाली जमीन थी और पेड़ पौधों की सामान्य उपस्थिति थी।
अपर पुरापाषाण काल में संग्रहित पपड़ियो, पत्तियों और खंतीयों का आकर बड़ा हो गया था।
महत्वपूर्ण स्थल
मध्य प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, झारखंड और आस पास के क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
NOTE:- मनुष्य द्वारा गुफाओं और चट्टानी आश्रयों का पहली बार इस्तेमाल अपर पुरापाषाण काल में हुआ।
पृथ्वी की उत्पत्ति – 4600 मिलियन वर्ष
पृथ्वी पर जीवन – 3500 मिलियन वर्ष
पृथ्वी पर प्रथम मानव – 30 करोड़ वर्ष
दक्षिणी अफ्रीका में होमो सेपियंस सेपियंस – 1.15 लाख वर्ष
(आधुनिक मानव) की उपस्थिति
नर्मदा घाटी में होमो सेपियंस को पुरानी खोपड़ी – 7 लाख वर्ष
भाषा की उत्पत्ति – 50 हजार वर्ष
भारत में पशुपालन के प्रथम साक्ष्य – 5000 वर्ष
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